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हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी का पंडोह शरीफ़ से किछौछा शरीफ़ तक का सफ़र-अ’ली अशरफ़ चापदानवी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
अपने मुर्शिद के हुक्म से आपने काको में ही हिदायत और रूहानियत का केंद्र स्थापित किया
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
महार शरीफ़ में क़याम के बा’द आपने रुश्द-ओ-हिदायत के काम का आग़ाज़ किया।जल्द ही चारों अतराफ़
मुनादी
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उ’र्स-ए-बिहार शरीफ़
5 तारीख़ दिन के चार बजे बिहार की पुलिस हज़रत मख़्दूम-ए-जहाँ के आस्ताना पर चादर ले
निज़ाम उल मशायख़
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सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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मंसूर हल्लाज
क़ैद-ख़ाने में उनसे बहुत सी करामातें ज़ाहिर हुईं जिनमें सबसे आख़िरी करामत ये थी कि एक
निज़ाम उल मशायख़
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ख़्वाजा गेसू दराज़ बंदा-नवाज़ - प्रोफ़ेसर सय्यद मुबारकुद्दीन रिफ़्अ’त
दरिया के किनारे दरख़्त के नीचे एक क़ब्र देखी तो समझा कि ये किसी बुज़ुर्ग की
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
14 रबीउ’ल-अव्वल233 हिज्री को हज़रत ने विसाल फ़रमाया था। विसाल के वक़्त उनके होने वाले जाँ-नशीन
ख़्वाजा हसन सानी
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तजल्लियात-ए-सज्जादिया
अब मैं इस ख़ानक़ाह की इ’ल्म-दोस्ती की कुछ मिसालें पेश करना चाहता हूँ। बिशनपुर ज़िला’ किशनगंज