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सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(2) यह अवसर दुर्लभ मिलै, अचरज मनुषा देह। लाभ वही सहजो कहै, हरि सुमिरन करि लेहु।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
उमर खैयाम की रुबाइयाँ (समीक्षा)- श्री रघुवंशलाल गुप्त आइ. सी. एस.
पात्र भरो, शशिवदन! कि यह शशि जाकर फिर आवेगा लौट, लौटेगा न गया अवसर पर, करना चाहे कोटि उपाय।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
क़व्वाली को सीना-ब-सीना याद रखने की ज़िम्मेदारी ने ही क़व्वाल घरानों को जन्म दिया। क़व्वाली सुनने
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
मीरा से संबंधित विभिन्न मंदिर- पद्मावती शबनम
यह भी संभव है कि मीरा बाई द्वारा की गई वृंदावनयात्रा एवं उस अवसर पर रूप
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
ईसाइयों और मुसलमानों की तरह कबीर मनुष्य और ईश्वर के बीच किसी मध्यस्थ की सत्ता पर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर और शेख़ तक़ी सुहरवर्दी
कबीर भारतीय संस्कृति के एक ऐसे विशाल वट वृक्ष हैं जिसकी छाया में भारतीय संस्कृति, दर्शन
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कबीर जी का समय डाक्टर रामप्रसाद त्रिपाठी, एम. ए., डी. एस्-सी.
कबीर संप्रदाय की एक जनश्रुति के अनुसार कबीरसागर में उन का नामदेव से मिलना भी लिखा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
ब्रज में गुरू गुग्गा के गीत का आनुष्ठानिक महत्व है। गुरू गुग्गा या जाहरपीर एक देवता
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
बालक नारायण ने जब हनुमान-दर्शन का समाचार अपनी माता राणूबाई और अपने जेठे भाई श्रेष्ठजी से
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
जायसी के गाजीपुरी होने का प्रबल प्रमाण अभी तक नहीं मिला। जो कुछ उसके पक्ष में