परिणाम "अहरार"
Tap the Advanced Search Filter button to refine your searches
वाज़ेह हो कि ख़्वाजा उबैदुल्लाह अहरार और अमीर तक़ीउद्दीन किरमानी दोनों हम-अस्र और दोस्त हैं, दोनों बुज़ुर्ग का मज़ार भी एक ही जगह पर समरक़ंद में वाक़ा है, रिवायत है कि अमीर तक़ीउद्दीन किरमानी के जनाज़ा को ख़्वाजा अबैदुल्लाह अहरार अपने दोश पर मज़ार तक ले गए, उस वक़्त दोनों ख़ानवादा में बड़ी क़ुरबत हो चुकी थी। (ईज़न)मुअल्लिफ़-ए-‘नजात-ए-क़ासिम’ लिखते हैं : ”कई पुश्तों से बराबर बुज़ुरगवार हज़रत महबूब जल्ल-ओ-इला के नवासे ख़्वाजगान अहरारी के थे.” (नजात-ए-क़ासिम, सफ़हा-13)
अपनी इस तस्नीफ़ से मुतअ’ल्लिक़ ये बात हज़रत ने बड़े मुख़्तसर और वाज़ेह अल्फ़ाज़ में लिखी।फ़िक्र-ए-समर की तरफ़ माइल हुआ तो दिल में ख़याल आया कि इन अस्मार को अस्मारुल-असरार कहूँ कि वो उन तालिबान-ए-हक़ के काम आए जिन्हें अहरार कहा जता है कि वो ख़ुदा के आज़ाद बंदे हैं जो इ’श्क़-ए-इलाही में गिरफ़्तार हैं। अगर ये उन अस्मार पर तवज्जोह करें तो मरातिब-ए-विलायत और मक़ाम-ए-समदियत के अहवाल से वाक़िफ़ हों और फ़नल-फ़ना के रम्ज़ को जान लें।
जब आप बग़दाद में आए तो मज़ार-ए-पाक हज़रत ग़ौसुल-आ’ज़म की जानिब से अ’लावा फ़्यूज़-ए-बातिनी के सफ़ेद
पीर की सूरत याद रखने को कहते हैं जो दिल में होता है। हज़रत ख़्वाजा उ’बैदुल्लाह
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books