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सूफ़ी लेख
शाह अकबर दानापुरी और “हुनर-नामा”
जिस जगह अहल-ए-हुनर होते हैं आबाद है वोअंबिया जितने थे सब अहल-ए-हुनर थे यक्सर
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
ऊस्त दर हर ज़र्रःपैदा-ओ-निहाँपास दार अन्फ़ास ऐ अहल-ए-ख़िरद
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
मिसरा-ए-तरह- ‘अहल-ए-दौलत भी फ़क़ीराना बसर करते हैं’A.मुंशी मुहम्मद हसन
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
देखें तुझे, ये होश कहाँ अहल-ए-नज़र कोतस्वीर तिरी देखकर हैरान बहुत हैं
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
चू बे-ख़ुद ख़्वास्तंद अहल-ए-तरब राशराब-ए-बे-ख़ुदी दर काम कर्दंद
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
ज़े अहल-ए-मा’रिफ़त ईं मुख़्तसर दरेग़ म-दारमुराद-ए-मा हमः मौक़ूफ़ यक करिश्मा-ए-तुस्त
मयकश अकबराबादी
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हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
क्या कहूँ मैं क़िस्सा-ए-हमदर्दी-ए-अहल-ए-वतनतीर कोई भेजता है और कोई नश्तर मुझे
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
ज़र्र-ई नीस्त पेश-ए-अहल-ए-जुनूँ(अन्फ़ास-उल-आ’रेफ़ीन, सफ़हा-22, नजात-ए-क़ासिम, सफ़हा-33)
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़ना के बा’द भी अहल-ए-कमाल ज़िंदा हैं।ज़हे वो काम कि जिससे जहाँ में नाम रहे।।
ज़माना
सूफ़ी लेख
हकीम सफ़दर अ’ली सफ़ा वारसी
मोहम्मद मुस्तफ़ा और अहल-ए-बैत अस्हाब सब उनकेक़दम रंजा हैं फ़रमाते जो दिन तारीख़-ए-पहली का
जुनैद अहमद नूर
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
जैसे मांगे कोई प्यासा लब-ए-दरिया पानीधोए जुर्म अहल-ए-मआ’सी के दम-ए-ग़ुस्ल-ए-मज़ार
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
अहल–ए–हिर्फ़त के लिए कान–ए–तरक़्क़ी है हुनरबाग़–ए–आलम में गुलिस्तान–ए–तरक़्क़ी है हुनर
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
2۔ फ़ुग़ाँ न शेव:-ए-अहल-ए-दिल अस्त ऐ बुल्बुलव-गर्ना मन ज़े-तू अफ़्ज़ूँ ख़रोश मी-कर्दम