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सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -1
देर हो जाने से शेर ग़ुर्रा ग़ुर्रा कर ज़मीन को नोच डाल रहा था और कहता
ज़माना
सूफ़ी लेख
शम्स तबरेज़ी - ज़ियाउद्दीन अहमद ख़ां बर्नी
निकल्सन दौलत शाह की ज़बानी बयान करता है कि मौलाना ने अक्सर ग़ज़लें शम्स की गैर
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत अमीर ख़ुसरौ
आपका आइंदा ख़िताबः आपके दिल में एक दिन यह ख़याल गुज़रा कि आपका तख़ल्लुस दुनियादारों का
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
सूफ़ी लेख
सूफ़ी और ज़िंदगी की अक़दार
इसलिए मंतिक़ी ज़ेहन उससे बहुत जल्दी मुतअस्सिर हो जाता है। और फिर किसी और चीज़ को
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल
वफ़ात : आप हज़रत फ़रीदुद्दीन गंज शकर की ख़िदमत में उन्नीस मर्तबा हाज़िर हुए, आप हर