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सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
तकमील नूर-ए-ऐन की बेदम ने की है यूँशज़रए नस्ब लिखा है वह भी वारसी .
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(6) ऐन मैन है सीप की सूरत आँखें देखी कहती है।अन खावे ना पानी पीवे देखे से वह जीती है।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(6) ऐन मैन है सीप की सूरत आँखें देखी कहती है। अन खावे ना पानी पीवे देखे से वह जीती है।।
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समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
ख़्वाजा फख़रुद्दीन ने तसव्वुफ़ पर एक किताब ऐन-उल-यक़ीन लिखी है ।समाअ महफ़िलें कैसे आयोजित की जाएँ
सुमन मिश्रा
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समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
ख़्वाजा फख़रुद्दीन ने तसव्वुफ़ पर एक किताब ऐन-उल-यक़ीन लिखी है ।समाअ महफ़िलें कैसे आयोजित की जाएँ
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
बड़ बोली कत होति बलि, बड़े द्रगन के जोर।।5।।टीका- सखी की उक्ति मानिनी नायका सों। लोकोक्ति
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
जंगली महल अब तो वाक़िई जंगली महल है। हाँ किसी ज़माना में बड़ा गद्दार महल था।