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सूफ़ी लेख
कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
बसव ने वृत्ति को न जाति-सूचक ठहराया और न किसी की उच्चता या नीचता का धोतक।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
पैग़ंबर-ए-इस्लाम का इर्शाद-ए-गिरामी है कि क़ियामत के दिन अल्लाह अपने बंदों से पूछेगा कि मैं भूका
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम हुसैन ढकरपोश
इसी वाक़िआ’ को क़ाज़ी शह बिन ख़त्ताब बिहारी ने ‘मूनिसुल-क़ुलूब’ में तफ़्सील से बयान किया है-“हज़रत
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
आपने शैख़ से अ’र्ज़ किया कि एक तालिब-इ’ल्म हूँ। आपका क्या इर्शाद है| ता’लीम जारी रखूँ
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
अक्सर ख़ुद खाना पकाते थे और दस्तरख़्वान की ख़िदमत ख़ुद किया करते थे।दरवेशों बिल-खुसूस तआ’म खाने
रहबर मिस्बाही
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
लफ़्ज़-ए-सूफ़ी की अस्लियत हमेशा से मुख़तलफ़-फ़ीह रही है। एक गिरोह कहता है कि सूफ़ी सूफ़ का
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
ये ज़रूरी है कि कपड़ा जिस्म और लुक़्मा पाक और हलाल हो। हवास-ए-ख़म्सा भी मा’सियत से
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
तोते के बारे में कहते हैं कि इस मुल्क के तोते आदमी की तरह बोलते हैं।
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा गेसू दराज़ बंदा-नवाज़ - प्रोफ़ेसर सय्यद मुबारकुद्दीन रिफ़्अ’त
इस किताब में एक जगह इर्शाद फ़रमाते हैं कि जब मोमिन नफ़्स के पंजे से छुटकारा
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
जब कबीर ने देखा कि आकाशवामी पूर्णतया चरितार्थ हुई, तब उनका उत्साह और भी बढ़ा और
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महापुरुष ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी
हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती रहि• भी बहुत बड़े और पहुँचे हुए फ़क़ीर थे। उनका जन्म ईरान
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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महाराष्ट्र के चार प्रसिद्ध संत-संप्रदाय - श्रीयुत बलदेव उपाध्याय, एम. ए. साहित्याचार्य
इस पंथ के भिन्न भिन्न प्रांतों में भिन्न भिन्न नाम है। महाराष्ट्र में इस महात्मा पंथ