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सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
ज़े बस अब्लही हिंदुवान-ए-कलाल।ब-दस्त आब नोशंद बा-सद सिफ़ाल।।
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता- शाल़ग्राम श्रीवास्तव
कबीर भाटी कलाल की बहुतक बैठे आय।सिर सौंपे सोई पियै, नहिं तो पिया न जाय।।