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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
गोया कि कहकशाँ है सुरय्या के हाथ मेंशाम होते होते बाज़ार इतना भरा कि तिल रखने को जगह न रही।
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गोया कि कहकशाँ है सुरय्या के हाथ मेंशाम होते होते बाज़ार इतना भरा कि तिल रखने को जगह न रही।