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सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
शाहबाज़ान दर क़फ़स माँदःपेश-बीनान बाज़ पस माँदः
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
ज़े-हिन्दुस्ताँ अगर्चे दूर बूदमचूँ तूती दर क़फ़स महजूर बूदम
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
दस्त रा कोताह साज़द अज़ हवसब-शिकनद बा-चंग-ए-हिम्मत ईं क़फ़स
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
हर हर क़दम पे ठोकरें खाना पड़ा मुझेजब से मिली है क़ैद-ए-क़फ़स की सज़ा मुझे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
मिरी चश्म-ए-हसरत-आगीं ये ख़राबियाँ न देखेजो क़फ़स को दूर रख दे कोई मेरे आशियाँ से
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
दुश्मनी में बढ़ गए अहल-ए-वतन अग़्यार सेकह रहे हैं देख कर मुझको क़फ़स में शाद-शाद
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
बना लेता है मौज-ए-ख़ून-ए-दिल से इक चमन अपनावो पाबंद-ए-क़फ़स जो क़तरा-ए-आज़ाद होता है
मुनीर क़मर
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शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
2۔ शैख़ की विलादत का साल किसी किताब में नज़र से नहीं गुज़रा, हयात-ए-सा’दी में एक
एजाज़ हुसैन ख़ान
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हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
आख़िर वक़्त में एक रोज़ मुरीदों को बुला कर नसीहतें कीं और उनमें से हर एक