आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "कृष्ण"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "कृष्ण"
सूफ़ी लेख
प्रेम और मध्ययुगीन कृष्ण भक्ति काव्य- दामिनी उत्तम, एम. ए.
अष्टछाप के अन्य कवि कृष्णदास ने भी प्रेम के अलौकिकत्व को स्वीकारा है और उन्होंने जहाँ
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूरसागर, डॉक्टर सत्येन्द्र
1- मूल भगवान्- स्वयं कृष्ण।2- विग्रह भगवान्- कृष्ण जी की विविध मूर्तियाँ।
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
(7)कृष्ण कवि की कवित्तबंध टीका
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दी साहित्य में लोकतत्व की परंपरा और कबीर- डा. सत्येन्द्र
8. राम संप्रदाय 9. कृष्ण-संप्रदाय
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
बालक कृष्ण गाँव हैं। राजा कृष्ण नगर, राजधानी। कृष्ण कंस को मारकर कंस नहीं बने, किन्तु
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
कह रैदास कृष्ण करुणामय,जै जै जगत अधारा।।3।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
असाढ़ कृष्ण 5 शुक्ल मगनीरामेणालेखि कृष्णगढ़ मध्ये।।रस निबंध
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
जात न किरसुन तजि गोपीता।इन पंक्तियों का अर्थ डॉ. अग्रवाल ने किया है, उससे शुद्ध ठीक
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोईकृष्ण योगेश्वर भी हैं। यदि ‘योग’ शब्द की डा. मंजुलाल
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
गापियों को यह चकपकाहट उद्धव की बात की असंगति पर होती है। जिसने ऐसा सँदेसा भेजा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
देवावासी कृष्ण कन्हैया , वारिस अवध के अवध बिहारीसीस उधर लट घूंघर वाली, काँधे सोहे कमली कारी
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
भागवत के कृष्ण नन्द, यशोदा, गोपियों आदि के विरह की विकलता को शान्त करने तथा सबके
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
इह विचार करि दीजै सौई। अखैराम भाषित इह होई।।3।।पारवती शिव हृदय विराजै। कृष्ण वक्ष कमला साजै।।