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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
पवनगोटिका रहणि अकास,महियल अंतरि गगन कविलास।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
चाहहि उलथि गगन कहँ लागा। (103.3) (29) 103.7 समुँद हिडोरकरहिं जनु झूले।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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फ़ारसी लिपि में हिंदी पुस्तकें- श्रीयुत भगवतदयाल वर्मा, एम. ए.
ज्वूँ तार सब गगन के, मुट्ठी में न समायँ।।भैरवीं का रूप
हिंदुस्तानी पत्रिका
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महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
बरु ये बदराऊ बरसन आए। अपनी अवधि जानि, नँदनंदन! गरजि गगन घन छाए।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दी साहित्य में लोकतत्व की परंपरा और कबीर- डा. सत्येन्द्र
कबीर मोती नीपजै, सुन्निसिषर गढ़ माँहि मन लागा उन्मन्न सौं, गगन पहूंचा जाइ
भारतीय साहित्य पत्रिका
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हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
नारायण घन गगन मगन परकास तड़ित गतनागलोक सुरलोक लोक मधम कुरहै चौदस
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
झटपट कटक चढै जबैं पृथीसिंह मल मट्ट रज तुरंग चढि गगन रवि ढक्कढढ्कि यतबट्ट
भारतीय साहित्य पत्रिका
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बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
सिंधु लोहू कुंडनि गगन झुंडा-झुंडनि सौँ, रिपु रुंडा-मुंडनि सौं खंड सबै पाटे हैं।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
भ्रमत स्रमित निसि दिवस गगन महँ तहँ रिपुराहु बड़ेरो।। जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता तिहुँ पुर सुजस घनेरो।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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आज रंग है !
इँगला पिंगला तारी देवै सुखमन गावत होरीबाजत अणहद डंक तहाँ धुनि गगन में ताल परो री
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
18 संतो गगन चढ़ा मन मेरा 5 सोरठ19 भौसागर सेती अब कैं लीजो उबार 4 सोरठ
भारतीय साहित्य पत्रिका
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मधुमालती नामक दो अन्य रचनाएँ - श्रीयुत अगरचंद्र नाहटा
लीलावती ललित इक देशा। चन्द्रसेन तिहां सुभट नरेशा। सुभग धाम धज गगन प्रवेशा। गढ मढ मन्दिर रचे महेशा।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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मीराबाई और वल्लभाचार्य
मीरा के प्रभु सांवरो रंग रसिया डोलै हो।। परंतु यदि गहरे पैठ कर देखा जाय तो जान
हिंदुस्तानी पत्रिका
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ख़्वाजा शम्सुद्दीन मुहम्मद ‘हाफ़िज़’ शीराज़ी
(अर्थात ऐ दिल! तूने देखा कि उस मेधावी बेटे ने नीले आसमान के नीचे क्या सुख
सुमन मिश्रा
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When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
यह नक्षत्रों से भरा आकाश वियोगी जनों के लिए एक बहुत बड़ा सहारा है। उस दिन
सम्मेलन पत्रिका
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महाराष्ट्र के चार प्रसिद्ध संत-संप्रदाय - श्रीयुत बलदेव उपाध्याय, एम. ए. साहित्याचार्य
राक्षसों के बंदीगृह से ऋषियों और देवताओं के उद्धार करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र इस संप्रदाय