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सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
मा’शूक़ हमीं जास्त ब-याएद ब-बाएदआनाँ कि तलब-गार-ए-ख़ुदाएद ख़ुदाएद
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
18۔ हर कस कि हाय-ओ-हू न कशीद अहल-ए-रोज़-गारगोश-ए-रज़ा ब-गुफ़्त शुनीदश नमी-कुनंद
ज़माना
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
(यादगार-ए-रोज़गार, स० 710)अस्ल में लियाक़त हुसैन की ये हस्ती न थी, मगर तवायफ़ों के यहाँ उन
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
गीता और तसव्वुफ़ - मुंशी मंज़ूरुल-हक़ कलीम
हिन्दुस्तान जिस तरह तमद्दुन-ओ-मुआ’शरत में दूसरी मोहज़्ज़ब क़ौमों का गुरू था उसी तरह वो रूहानियत में
ज़माना
सूफ़ी लेख
आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
।एक दीवान और चंद तहरीरें आपकी याद-गार हैं जिसमें चार क़साइद हज़रत इमाम अ’ली मुर्तज़ा पर,
फ़ैज़ अली शाह
सूफ़ी लेख
सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
आपकी शादीआप चूँकि सैलानी फ़क़ीर थे।एक जगह का मुस्तक़िल क़ियाम पसंद-ए-ख़ातिर न था।जब लोगों का हुजूम
सूफ़ी
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हज़रत बाबा फ़रीद के ख़ुलफ़ा
शैख़ जमालुद्दीन ने अपने पीर-ओ-मुर्शिद को देखने की ग़रज़ से सात मर्तबा अजोधन का सफ़र किया।जब
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
आप हज़रत शैख़ निज़ामुद्दीन अवधी के फ़र्ज़न्द थे।आप अयोध्या के रहने वाले थे।आपके बारे में अक्सर
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
ख़ास तौर पर शामिल थे। इनमें हज़रत हसन जान को हज़रत हाजी वारिस अली से बे-पनाह
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
शाह मोहसिन ने 1926 ईस्वी में “’इख़्वानस्सफ़ा” की बुनियाद रखी जिसके तहत मुशाइ’रे और मुल्क-ओ-समाज के
रय्यान अबुलउलाई
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सतगुरू नानक साहिब
इस आवाज़ को सुनकर मैंने कहा मेरा इस पर यक़ीन है मगर ऐ पुकारने वाले मुझको
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ - अबुल-आज़ाद ख़लीक़ी देहलवी
कहाँ कहाँ से कोई आया और क्या-क्या कोई लाया? देखने वाली आँखें देखती हैं और समझने