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सूफ़ी लेख
निर्गुण कविता की समाप्ति के कारण, श्री प्रभाकर माचवे - Ank-1, 1956
कासेयाची मूडा किरसी संसार पुढे तो अघोर घोर आहे
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
उपोद्धात ग्रियर्सन साहब एवं पंडित सुधाकर द्विवेदी ने मलिक मुहम्मद जायसी के उद्धार की जो चेष्टा की
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
विरही घोर दुख सहता हुआ भी यह कभी मन में नहीं लाता कि यह प्रेम दूर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह - श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव
कुछ इतिहासकारों तथा विद्यार्थियों की धारणा है कि दारा इतिहास में असफल और एक सर्वथा निरर्थक
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह
कुछ इतिहासकारों तथा विद्यार्थियों की धारणा है कि दारा इतिहास में असफल और एक सर्वथा निरर्थक
अविनाश कुमार श्रीवास्तव
सूफ़ी लेख
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
रामायण पर एक साहित्यिक नोटएक सज्जन ने जो पश्चिमी भारत के निवासी मालूम होते हैं, अमेरिका
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रामावत संप्रदाय- बाबू श्यामसुंदर दास, काशी
हिंदी साहित्य का इतिहास तीन मुख्य कालों में विभक्त किया जा सकता है- प्रारंभ काल, मध्य
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
अब आ गई लंका। विषम-संग्राम- घोर छल और बल- दारुण घमासान। अवतार भी परीक्षा देता है
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
मुरली देखकर लजाते हैं। मुरली गाँव और गोचारण की उन्मुक्तता की प्रतीक है। सिंहासन बैठा राजा
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
प्राप्त गीतों और परंपरागत बातों के आधार पर किये हुए अन्वेषण से यह प्रकट है कि
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता- शाल़ग्राम श्रीवास्तव
हिन्दी जाननेवालों को फ़ारसी-किवता के रसास्वादन के लिए पहले दो-एक मोटी मोटी बातों की हृदयस्थ कर
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता - शालिग्राम श्रीवास्तव
हिन्दी जाननेवालों को फ़ारसी-किवता के रसास्वादन के लिए पहले दो-एक मोटी मोटी बातों की हृदयस्थ कर
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल्बेरूनी -प्रोफ़ेसर मुहम्मद हबीब
राजपूतों के प्रभुत्व से हिंदू दर्शन और विज्ञान का ह्रास होने लगा था। उसे आशंका थी
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
कबीर साहब का व्यक्तिगत अनुभव कदाचित् उनके लड़कपन से ही ऐसे ढंग का हो गया था
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
एक दिन कबीर पास के बाज़ार को जा रहते थे कि इतने में आकाशवाणी हुई- “ऐ
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
आचार्य चन्द्रबली पांडे एवं उनका तसव्वुफ अथवा सूफ़ीमत डॉ. इन्द्र पाल सिंह
तसव्वुफ वा सूफ़ीमत के उद्भव के सम्बन्ध में विद्वानों में मतबेद रहा है। इस्लाम धर्म के