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सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
अपनी ओर लगाय जगत व्याधा हरो।।अपनी ओर लगाय जगत व्याधा हरो।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
निजामुद्दीन औलिया जग उजियारोजग उजियारो जगत उजियारो।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
कह रैदास कृष्ण करुणामय,जै जै जगत अधारा।।3।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
सहजो जगत अनित्य है, आतम कूँ नित जान। सहजोबाई
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
गरब कोई इस जगत में कीजियेना।गुरुरी का प्याला पौजियोना।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी काव्य में भाव ध्वनि- डॉ. रामकुमारी मिश्र
वसंतः- आज वसंत नवल रितु राजा, पंचमि होइ जगत सब साजा।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
सजन मिलावरा, सजन मिलावरा, मोरे आंगन को,जग उजियारो, जगत उजियारो..
क़ुर्बान अली
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-डोली(80) एक कन्या ने बालक जाया। वा बालक ने जगत सताया।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-डोली (80) एक कन्या ने बालक जाया। वा बालक ने जगत सताया।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
सतसैंया ऐसो कियो रह्यो जगत में छाय।।20।। अनवरषाँ टीका कियो ताको प्रकरन लाय।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
दया ही अपेक्षित है, समस्त प्राणि जगत में,दया ही धर्म की जड़ है भाई,
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
जगत-विदित छबि-छावनौ गनपति-सुंडाडंड।।2।। वेद खंड गिरि चंद्र गनि भाद्र पंचमी कृष्न।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
जहाँगीर वै चिस्ती निहकलंक जस चाँद। वै मखदूम जगत के हौं ओहि घर कै बाँद।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
निलय गोग चहुवान के, रचि जन-पद हरियान। ताकों सब पूजत जगत, अब लग नृप चहुवान।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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संतों के लोकगीत- डॉ. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम.ए., पी-एच.डी.
मन फूला फूला फिरै, जगत में कैसा नाता रे। माता कहै यह पुत्र हमारा बहिन कहै बिर मेरा।
सम्मेलन पत्रिका
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
दर्प पूर्ण जगत पुनः सूर्य की उज्ज्वलता में मौजें मारने लगा।शेख़ ख़ल्वत साज़ कु-ए-यार शुद ।