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सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
अनिक जतन निग्रह कीए, टारी न टरै भ्रमफांस।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता - शालिग्राम श्रीवास्तव
उस्मान कवि कहते हैं—–कौन भरोसा देह का, छाड़हु जतन उपाय।
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
संतों के लोकगीत- डॉ. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम.ए., पी-एच.डी.
दास कबीर जतन से ओढी ज्यो की त्यो धरि दीनी चदरिया।। नैहरवा हमको नहि भावै।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता- शाल़ग्राम श्रीवास्तव
कौन भरोसा देह का, छाड़हु जतन उपाय।कागद की जस पूतरी, पानि परे धुल जाय।।
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
‘मन युफ़िल्लहु’ जु हर भयो, भई पाप की मोट‘फ़लाहादिलहु’ होय नहिं, करो जतन किन कोट.
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(283) खीर पकाई जतन से, और चरखा दिया जलाय।आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजाय।। ला पानी पिला।।7।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(283)खीर पकाई जतन से, और चरखा दिया जलाय। आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजाय।। ला पानी पिला।।7।।