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सूफ़ी लेख
लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी - मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
‘दर अज़ल पर्तव-ए-हुस्नत ज़े-तजल्ली दम ज़दइ’श्क़ पैदा शुद-ओ-आतिश ब-हम: आ’लम ज़द
निज़ाम उल मशायख़
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
मर्दअज़ शादी-ए-आँ मदहोश शुद ।ना’र:-ए-ज़द कासमाँ पुर जोश शुद ।।
सुमन मिश्र
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हज़रत सय्यिदना अ’ब्दुल्लाह बग़दादी - मैकश अकबराबादी
ब-यक शंब: वो व-चारहा अज़ मुहर्रमबरूँ ज़द ख़ीमः अज़ आफ़ाक़-ए-आ’लम
मयकश अकबराबादी
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तारीख़-ए-वफ़ात निज़ामी गंजवी
कि बर अज़्म-ए-रह बुर्द हल ज़द-ओ-दालचूँ हाल-ए-हकीमान-ए-पेशीन: गुफ़्त
क़ाज़ी अहमद अख़्तर जूनागढ़ी
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
इमशब आनस्त कि ज़द हलक़:-ए-जां बुर्द ज़े मानीज़ नूर-ए-ख़ुदा कर्द तुलूअ’ अज़ बर-ए-मा
मयकश अकबराबादी
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हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
बद-अ’हदी-ए-उ’म्र बीं कि गुल दर दह रोज़सर बर ज़द-ओ-ग़ुंचः कर्द-ओ-ब-शगुफ़्त-ओ-बरेख़्त
सूफ़ीनामा आर्काइव
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वेदान्त - मैकश अकबराबादी
आवागवन से मुराद ये है कि एक इंसान बार बार मरता है और बार बार पैदा
मयकश अकबराबादी
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सूफ़ी ‘तुराब’ के कान्ह कुँवर (अमृतरस की समीक्षा)
वस्तुतः हिन्दी के राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने से पहले अधिकतर पूर्व, उत्तर तथा मध्य
बलराम शुक्ल
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कबीर दास
महात्मा कबीर से हिंदुस्तान का बच्चा-बच्चा वाक़िफ़ है। शायद ही कई ऐसा नज़र आए जो कबीर
ज़माना
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
(2) हज़रत गेसू-दराज़ को एक ऐसे दौर में काम करना पड़ा था जब अफ़्क़ार-ओ-नज़रियात का ज़बरदस्त
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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सय्यिद अमीर माह बहराइची
“ऐ फ़र्ज़न्द होश्यार हो जाओ। लश्कर-ए-इ’श्क़ दौड़ा हुआ आ रहा है। उसी हफ़्ता के अंदर लश्कर