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सूफ़ी लेख
ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
ज़िक्र-ए-ख़्वाजा मआ करामात-ए-हारूनी (ज़ब्त अजमेरी)तोहफ़ा-ए-चिश्त (अफ़्ज़ल बदायूनी)
रय्यान अबुलउलाई
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उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
आह-ए-सोज़ाँ को जो कर लेता हूँ मुश्किल से मैं ज़ब्तराज़-ए-दिल फ़ाश मेरे दीदा-ए-तर करते हैं
सुमन मिश्रा
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गीता और तसव्वुफ़ - मुंशी मंज़ूरुल-हक़ कलीम
बा दोस्त रसीदः रा दिगर मतलब नीस्तअगले मंत्रों में मुख़्तलिफ़ क़िस्म के यज्ञ पर रैशनी डाली
ज़माना
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
मेरा दिल भर आया। मैं अपने को ज़ब्त न कर सका। मैंने कहा!कल्याण सिंह जब तक
मुनादी
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हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
अमीर ख़ुसरौ को फ़न्न-ए-मौसीक़ी में एक नायक की हैसियत हासिल थी अगरचे नायक के लक़ब के
उमैर हुसामी
सूफ़ी लेख
हज़रत अ’लाउद्द्दीन अहमद साबिर कलियरी
कलियर में क़याम:- ब-हुक्म अपने पीर-ओ-मुर्शिद आप कलियर पहुँचे।कलियर उस ज़माने में एक बड़ा शहर था।उसकी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
शुद नक़्श हमः जान मुमस्सलबड़ी मुश्किल से शहर की तरफ़ मुराजअ’त करने के लिए रज़ा-मंद हुए।थोड़े
सूफ़ीनामा आर्काइव
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मंसूर हल्लाज
हज़रत शिब्ली रहमतुल्लाहि-अ’लैह से जाकर मिले और कहा कि एक बड़ी मुहिम दर-पेश है।मेरी नज़र से
निज़ाम उल मशायख़
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ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
हज़रत ख़्वाजा साहिब अजमेरी ने हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाने के बा’द अजमेर को अपना मर्कज़ क़रार दिया
ख़्वाजा हसन सानी
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ज़िक्र-ए-खैर : हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली
मुफ़्ती नेपाल मौलाना अनीस आलम क़ादरी फ़िरदौसी ( दरभंगा), हज़रत शाह अहमद रज़ा ख़ाँ के शिक्षक