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सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
रफ़्तम अंदर तह-ए-ख़ाक उन्स-ए-बुतानम बाक़ीस्तइ’श्क़-ए-जानम ब-रबूद आफ़त-ए-जानम बाक़ीस्त
मयकश अकबराबादी
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हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
रुबाई’ऐ दोस्त अल-ग़ियास कि जानम ब-सोख़्ती
सूफ़ीनामा आर्काइव
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गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
(शेख बुरहानुद्दीन जानम, ई. 1582, बीजापुर)गुजरात के सूफी कवि
भारतीय साहित्य पत्रिका
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अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
ब-कुश जानम मरा गर ज़िंदा मानद।।अमीर ख़ुसरो का इ’श्क़
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
जान-ए-जानम सिर्र-ए-सिर्रम तन नेयम-मसूद बक( ख़लीफ़ा हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया)
सुमन मिश्रा
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
बे तू बर जानम जहाँ ब-फ़रोख़्तम ।कीसा बीं कज़ इश्क़-ए-तो बर-दोख़्तम ।।
सुमन मिश्रा
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तज़्किरा हज़रत शाह तसद्दुक़ अ’ली असद
कि जानम सदा मी दहद आह-ए-दिलकि ब-गुज़ाश्त मारा-ओ-जन्नत शताफ़्त
इल्तिफ़ात अमजदी
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दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
ये तजस्सुस उस वक़्त और बढ़ जाता है जब मालूम होता है कि अपने आपको दुल्हन