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सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
जानगूढ गुरु जाप जू की साची सरनाय। छिन मांहि वासाजाय करैगो मसांन ए
भारतीय साहित्य पत्रिका
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संत रोहल की बानी- दशरथ राय
ओअहं सोअहं बेकथा, अजपा जाप प्रकास। अंतर धुन लगी आत्मा, निहचै भयो विसास।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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औघट शाह वारसी और उनका कलाम
इस डगरिया मिलें गोसाईं नदी नाव संजोगजाप जोग तप तीर्थ से निर्गुण हुआ न कोई
सुमन मिश्र
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कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
इक कुल देव्यां कौ जपहि जाप, त्रिभवनपति भूले त्रिविध ताप।।अंनहि छाड़ि इक पीवहि दूध, इत्यादि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
चरनदास-3. जाप करे तो पीव का ध्यान करै तो पीव। पिव बिरहिन का जीव है, जिव विरहिन का पीव।
सम्मेलन पत्रिका
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समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
विरक्ति प्रायः दस ही वर्ष की अवस्था से इनमें श्रीरामचंद्रजी की भक्ति और संसार से विरक्ति के