आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जाली"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "जाली"
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(137) सर पर जाली पेट से खाली। पसली देख एक एक निराली।।-मूढ़ा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(137) सर पर जाली पेट से खाली। पसली देख एक एक निराली।। -मूढ़ा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ इब्बन
हज़रत शैख़ इब्बन एक मज्ज़ूब थे जिनके हालात नहीं मिलते हैं। इन्होंने एक मस्जिद अहमद-आबाद में