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सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
वारिस पिया बिन जिया मोरा ‘नादिम’हुलस हुलस रह जाई
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
है अचंभा जिया जलै, औ निकसै ठंढी साँस।। (2) किसी अनोखे निशानेबाज से कवि कहते हैं-
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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सुफ़ियों का भक्ति राग
पिया बाज यक तिल जिया जाये ना !कहते हैं कि हिन्दुस्तान की धरती जिसके कण कण
ख़ुर्शीद आलम
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
1962 अ’ज़ीज़ के लिए बड़ा भाग्यशाली वर्ष रहा। उन्होंने ‘जिया नहीं माना’ रिकॉर्ड किया जो लोगों
सुमन मिश्र
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क़व्वालों के क़िस्से
अज़ीज़ नाज़ाँ (7 मई 1938 - 8 अक्टूबर 1992) मुंबई के एक प्रतिष्ठित मालाबारी मुस्लिम परिवार
सुमन मिश्र
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पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
तीसरे उदाहरण में पक्षियों के विविध नामों से श्लेषात्मक शैली का विधान किया गया है, जिससे