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सूफ़ी लेख
दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
अव़्वलः तौबा गुनाहों को खा जाती है।
दोउमः झूट रिज़्क़ को चट कर जाती है।
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
1 तहारत-ए-जिस्म, या’नी बदन और कपड़े पाक हों 2 तहारत-ए-हवास, ज़बान से झूट बात न निकले,
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
हिन्दोस्तान में सिलसिला-ए-तसव्वुफ़ का चराग़ कई सदियों से रौशन है। इसकी अज़्मत के तज़्किरे भरे पड़े
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
ज़ियाउद्दीन बर्नी की ज़बानी हज़रत महबूब-ए-इलाही का हाल
सुल्तान अ’लाउद्दीन भी अपने ख़ानदान के लोगों के शैख़ का मो’तक़िद हो गया था।ख़्वास-ओ-अ’वाम के दिल
ख़्वाजा हसन सानी
सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -1
हम दोनों ने हर-चंद ख़ुशामद दर-आमद की मगर उसने ज़रा ना सुना। मेरे साथी को छीन
ज़माना
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
“हज़रत सीदी मौला की ख़ानक़ाह के अख़्राजात सुल्तान जलालुद्दीन ख़िल्जी के अ’हद में और भी ज़्यादा