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सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
फिताद आँ नाज़नीं दर तुर्बत-ए-अल-हक़ब-यक मादन दो गौहर गश्त पिन्हाँ
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
आके तुर्बत पे मेरी ग़ैर को याद न करख़ाक होने पे तो मिट्टी मेरी बर्बाद न कर
सुमन मिश्रा
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हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
‘मुज़्तर’ का ये तड़पना बा’द-ए-फ़ना तो कम होतुर्बत पे आ के जम जा ऐ नक़्श-ए-पा-ए-वारिस
सुमन मिश्रा
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अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
मातमी लिबास पहन लिया।सब कुछ लुटा दिया।ख़ाली हाथ हो बैठे ग़म की आग में जलते,हिज्र की