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सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
आतिश अफ़गन दर दिलम मानिंद-ए-तूरशो’ला बर ख़ेज़द-ओ-गर्दद ज़ंग दूर
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
मन माता बहु रूप वेंज अपबस करि लीन्हाँ।।उठा सब्ब घनघोर तूर अनहद धुन बाजा।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
वल्लाह बुवद ख़ज़ाना-ए-दौलत-ए-इ’श्क़दारद हर गोशा-अश दो-सद तूर ब-हबीब
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
क्यूँ न हों अर्मां मेरे दिल में कलीमुल्लाह केतूर दर आग़ोश हैं ज़र्रे तिरी दरगाह के
सूफ़ीनामा आर्काइव
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अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी
तूर-ए-तजल्ली (ना’तिया ग़ज़लों पर मुश्तमिल)नूर-ए-विलायत (सूफ़ियाना ग़ज़लों पर मुश्तमिल मजमू’आ-ए-कलाम)
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
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तज़्किरा हज़रत शाह तसद्दुक़ अ’ली असद
तूर पर जल्वे से जिस के हुए मूसा बे-ख़ुदआ’शिक़ो देखो वो रश्क-ए-मह-ए-ताबाँ है यही