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सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
सब तपिश तब पुकारे।एक दुरस्ती दरस भूले,
भारतीय साहित्य पत्रिका
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संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
मांगे दरस मधूकरी, छके रहैं दिन रैन।।सगुणोपासक कांताभाव-
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
उन्ह हुत देखै पायउँ, दरस गोसाईं केर।।जायसी की गुरु-परंपरा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
प्रेम मगन, फिरत नगन, संग सरवा बाला। अस महेस विकट भेस, अजहूँ दरस आसा।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
6 म्हारै नैंना दरस पियासे हो 4 सोरठ7 नाथजी थे म्हारैं सिरताज 4 सोरठ
भारतीय साहित्य पत्रिका
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हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
बचाओ रीझि जन प्यारे, सों ‘पेमी’ दरस मतवारेहमारे नैन के तारे करो सीतल महा ज्ञानी.
सुमन मिश्रा
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महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
रेख न रूप, बरन जाके नहिं ताको हमैं बतावत। अपनी कहौ, दरस वैसे को तुम कबहूँ हौ पावत?
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मीराबाई और वल्लभाचार्य
(2) रेख न रूप बरन जाके नहिं ताको हमै बतावत। अपनी कहौ, दरस ऐसे को तुम कहूँ ही पावत।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
(पृ. 193) टीका- प्रस्ताविक। रूपक ताकौ पोषक। दीपक अरु श्लेष हे याते यहॉ सकर कहिए। अमर प्रश्न-।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
3.व्यक्तित्व। यदि किसी के यह रोम रोम में है पंक्ति पंक्ति में तो मीरा के। यही