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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
उत्तर- दाम(270) शिकार बेह चे मी बायद कर्द,
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
दर दाम-ए-बला उफ़्तादः बूदमहम तुर्र-ए-ऊ गिरफ़्त दस्तम
सूफ़ीनामा आर्काइव
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(269) शिकारी रा चे मी बायद, मुसाफ़िर को क्या चाहिए? उत्तर- दाम
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
साहिब-ए-मा’लूमात-ए-मज़हरिया शाह नई’मुल्लाह बहराइची
हातिफ़ ब-मन ब-गुफ़्त कि बाग-ए-नई’म-ए-दाम1218 हिज्री
जुनैद अहमद नूर
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
दाम अंदोज़ी बरा-ए-मर्द-ओ-ज़नख़्वेश रा गोई मनम शैख़-ए-ज़मन
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
शुद चू हुब्ब-ए-नज़ार: दामन-गीरगश्त मुतलक़ ब-दाम-ए-क़ैद असीर
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
कोउ माई आवत है तनु स्याम।वैसे पट, वैसिय रथ बैठनि, वैसीयै उर दाम।।
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
मुर्ग़ दाम आमद गिरफ़्तम ज़ेर-ए-बाल ।मन नख़्वाहम माँद बे ऊ देर-ए-साल ।।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
कबहूँ न दैहौं उराहनो जसुमति के आगे जाय।। दौरि दाम न देहुँगी, लकुटी न जसुमति पानि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी - मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
‘ब-हुस्न-ए-ख़ुल्क़ तवां कर्द सैद अह्ल-ए-नज़रब-दाम-ओ-दानः ब-गीरंद मुर्ग़-ए-दाना रा’
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
मर गए आकर छिड़क कर दाम से छूटे न हम।दिल की दिल ही में तमन्ना-ए-रिहाई रह गई।।
मुनादी
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मधुमालती नामक दो अन्य रचनाएँ - श्रीयुत अगरचंद्र नाहटा
कौतुक कथा रचुं चित साह, जो जे काज पढे चित साह। साम दाम बुद्धि भेद जों आई, बहतु रस सनगार बनाई।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यद शाह अ’ज़ीज़ुद्दीन हुसैन मुनएमी
हज़रत शाह अ’ज़ीज़ुद्दीन हुसैन की आ’लिमाना शख़्सियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है
रय्यान अबुलउलाई
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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
बंक नाल के बीच में, इँगल पिंगल पर जौन।।उपरोक्त संतों के अतिरिक्त जिन शेष संतजनों को
हिंदुस्तानी पत्रिका
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संत साहित्य
बंक नाल के बीच में, इँगल पिंगल पर जौन।।उपरोक्त संतों के अतिरिक्त जिन शेष संतजनों को