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सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता- शाल़ग्राम श्रीवास्तव
कौन भरोसा देह का, छाड़हु जतन उपाय।कागद की जस पूतरी, पानि परे धुल जाय।।
सरस्वती पत्रिका
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हाफ़िज़ की कविता - शालिग्राम श्रीवास्तव
कागद की जस पूतरी, पानि परे धुल जाय।।(च) संसार की असारता पर हाफ़िज़ का कहना है—
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
क़ुरआन और हदीस के सारे रहस्य जो उसके मस्तिष्क़ से धुल चुके थे।जुमल: बा-याद आमदश यकबारगी ।
सुमन मिश्रा
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शैख़ हुसामुद्दीन मानिकपूरी
क़ौलः रफ़ीक़ुल-आ’रिफ़ीन में आप फ़रमाते हैं कि मुरीदों को अपने मशाएख़ से वही निसबत है जैसे
उमैर हुसामी
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
मध्ययुगीन निर्गुण भक्त कवियों (सन्तों) की भाँति सन्तरेण ने भी अपनी साधना में नाम-स्मरण को सर्वाधिक