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सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
उठने में तेरे होता है उठना नक़ाब कानहीं है धोका कुछ इस में ऐ दिल कि है धोका तिलिस्म-ए-आ’लम
मयकश अकबराबादी
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वेदान्त - मैकश अकबराबादी
ब्रह्म दूसरी तामाम अश्या से मुख़्तलिफ़ है।वो मुनव्वर बिज़्ज़ात है।वो किसी दूसरे शुऊ’र का हामिल नहीं
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
शम्स तबरेज़ी - ज़ियाउद्दीन अहमद ख़ां बर्नी
एक दीवान जिसमें तक़रीबन पचास हज़ार अश्आ’र हैं शम्स तबरेज़ के नाम से मंसूब किया जाता
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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ज़ियाउद्दीन बर्नी की ज़बानी हज़रत महबूब-ए-इलाही का हाल
सुल्तान अ’लाउद्दीन भी अपने ख़ानदान के लोगों के शैख़ का मो’तक़िद हो गया था।ख़्वास-ओ-अ’वाम के दिल
ख़्वाजा हसन सानी
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हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
मैंने प्रोफ़ेसर श्री कान्त को लिखा कि वो मेहरबानी फ़रमा कर मुझे इत्तिलाअ’ फ़रमाएं कि टीपू