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सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
कै कुनन्द ऐ अज़ शराब-ए-इश्क़ मस्त ।ज़ाहिदां दर कु-ए- तरसायाँ नशिस्त ।।
सुमन मिश्र
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हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
सिक्क:-ए-ज़र्ब-ए-मोहब्बत ख़ुश नशिस्तगश्त चूँ बर नक़्श-ए-दिल नक़्श-ए-इलाह
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
अल्लाह पाक शाह साहिब की मग़्फ़िरत फ़रमाए और हमें उनका नेमल बदल अता फ़रमाए। आपकी रेहलत
रय्यान अबुलउलाई
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तज़्किरा-ए-फ़ख़्र-ए-जहाँ देहलवी
एक दिन एक मज्ज़ूब शख़्स बहिश्ती दरवाज़े के सामने मिला और कहने लगा”हुक्म हुआ है कि
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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हज़रत सय्यिदना अ’ब्दुल्लाह बग़दादी - मैकश अकबराबादी
उस मज्लिस की नशिस्त हस्ब-ए-ज़ैल है।सद्र में एक क़ालीन और एक गाव-तकिया जिस पर हज़रत सय्यिद
मयकश अकबराबादी
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तज़्किरा हज़रत शाह तसद्दुक़ अ’ली असद
सीवान में क़दीम दौर से ही शे’री नशिस्तें हुआ करती थीं और यहाँ एक से एक
इल्तिफ़ात अमजदी
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हाजी वारिस अ’ली शाह का पैग़ाम-ए-इन्सानियत - डॉक्टर सफ़ी अहमद काकोरवी
उन्नीसवीं सदी का दौर है। अवध की फ़िज़ा ऐ’श-ओ-इ’श्रत से मा’मूर है। फ़ौजी क़ुव्वतें और मुल्की
मुनादी
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
जंगली महल अब तो वाक़िई जंगली महल है। हाँ किसी ज़माना में बड़ा गद्दार महल था।