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सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो की शाइ’री में सूफ़ियाना आहँग
नक़्द-ए-मा’नी ज़े-निहायत बरुँ।।ने ज़े-ख़ुद ईं मुल्क-ए-अबद याफ़्तम।
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
शिकस्त-दिल को मैं अपने निहायत दोस्त रखता हूँसुना है जब से ये टूटा हुआ दिल है मकाँ तेरा
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
कज़ बे-ख़ुदी न-दानम अहवाल-ए-मुल्क-ए-दाराज़ीं बहर-ए-बे-निहायत दर पेच-ओ-ताब मांदम
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
शाह सय्यदा साहब:जिस ज़माना का हम ज़िक्र करते हैं ये वो ज़माना है जब कि ग्यारहवीं