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सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
औचक ही देखी तहँ राधा, नैन विसाल भाल दिए ररी। सूरश्याम देखत ही रीझे, नैन नैन मिलि परी ठगोरी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
दोहा रही पकरि पाटी सुरिस, भरे भौंह चित नैन।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
दोहा:पीत दुखन से कभू-कभू खुल खुल रोएं नैन
ज़माना
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
आजन आजीयँ नीस सोय। जाही अँजन तिमरनासे नैन निरमल होय।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर की कविता का आकर्षण, डॉक्टर प्रभाकर माचवे
मन तैं ये अति ढीठ भए।नैन भए हरि ही के।
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
हज़रत सैयद ज़ैनुद्दीन अ’ली चिश्ती
मज़हब की नाव में मुझे उन्होंने बचा लियाउघरा नैन हिए उज्यारे
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
उर भुअंग भस्म अंतत वैरागी। जाके तीन नैन अमृत बैन, सीस जटा घारी।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के माखन-चोर- श्री राजेन्द्रसिंह गौड़, एम. ए.
जसुदा! तेरो मुख हरि जोवै। कमल नैन हरि हिचिकिनि रोवै, बंधन छोरि, जसोवै।।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी काव्य में भाव ध्वनि- डॉ. रामकुमारी मिश्र
खन खन गेरै निरखै बारी, नैन नीर नहिं रही पनारी।। मधुमालती, 393.1-2
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
तन पहिरे नूतन चीर, काजर नैन दिए।।ते अपनैं-अपनैं मेल, निकसी भाँति भली।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
दोनों भाई नैन हैं दोनों भाई कानसब घट एकई आत्मा क्या हिंदू मुसलमान
मुनादी
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
चेतराम दरसन किये, तृपत होत है नैन।।62।।चेतराम बिनती करै, सुनियौ बारं-बार।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर का वात्सल्य-चित्रण, डॉक्टर सोम शेखर सोम
सखी री, सुन्दरता कौ रंग।छिन-छिन माँह परति छबि औरे, कमल नैन के अंग।
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
बड़े बड़े नैन पगे प्रेम के नसन सौ। रूप ऐसी बेलिनि मैं सुंदर नवेली बाल,
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
जादू हैं तेरे नैन गजाला से कहूगा।।दी हक ने तुझे बादशाही हुस्न नगर की।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
बचाओ रीझि जन प्यारे, सों ‘पेमी’ दरस मतवारेहमारे नैन के तारे करो सीतल महा ज्ञानी.
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
फ़ारसी लिपि में हिंदी पुस्तकें- श्रीयुत भगवतदयाल वर्मा, एम. ए.
भैरों शषि छवि, तिर जदा, सेत बसन, तिर नैन।मुंडन की माला गरें, सुद्धँ रूप सुम्य दैन।।