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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जगजिवन दास पास रहै चरनन,कबहूँ करहु न न्यारी।।3।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
मन की करनी तन सौं न्यारी। चर्नदास कहै मोहि पियारी।।15।।।। दोहा ।।