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सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
‘पेमी’ तन के नगर में, जो मन पहरा देयसोवे सदा अनन्द सों, चोर न माया लेय.
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
जिस्म की नज़र आने वाली आँख तस्वीर खींचने का कैमरा है,रास्ता दिखाने का वसीला है लेकिन
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
जंगली महल अब तो वाक़िई जंगली महल है। हाँ किसी ज़माना में बड़ा गद्दार महल था।