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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
का’बा में भी शराब पिए जा रहा हूँ मैं(रूहानी गुलदस्ता, सफ़हा 50)
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(179) अंगाँ मेरे लिपटा रहे, रंग रूप का सब रस पिए।।मैं भर जनम न वाको छोड़ा। ऐ सखी साजन ना सखी चूड़ा।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
मरा चे कार कि मनअ’-ए-शराब-ए-ख़्वार कुनम’’न तो मैं क़ाज़ी हूँ न मुहद्दिस,न पुलिस वाला न फ़क़ीह।मुझे
मुनादी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा ग़ुलाम हुसैन अहमद अल-मा’रूफ़ मिर्ज़ा सरदार बेग हैदराबादी
सोता क्या पड़ा सजन दीवाने उठ बहार आईएक बार आँख खोल दिए। क्या देखते हैं कि
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
1992 में उन की तबीअ’त ख़राब हुई और इसी साल 8 अक्टूबर को अ’ज़ीज़ नाज़ाँ इस
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
मालूम होता है, जहाँगीर उस दिन कुछ ज़ियादा पिए हुए थे, तभी ज़रा-सी मामूली बात पर
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
अज़ीज़ नाज़ाँ की क़व्वाली शुरुआ’त में इस्माईल आज़ाद की शैली का अनुकरण करती मा’लूम पड़ती है
सुमन मिश्रा
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रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार
एक दिन चार वैष्णव मिलकर भगवद्वार्ता कर रहे थे, करते-करते ऐसी बात निकली कि प्रभु में
कृष्णचन्द्र वर्मा
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रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार - कृष्णचन्द्र वर्मा
एक दिन चार वैष्णव मिलकर भगवद्वार्ता कर रहे थे, करते-करते ऐसी बात निकली कि प्रभु में