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सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
आके तुर्बत पे मेरी ग़ैर को याद न करख़ाक होने पे तो मिट्टी मेरी बर्बाद न कर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
दोहा:सुन रे पपीहे बावरे बानी पे आये न कूक
ज़माना
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
–––––––––––––––––––––गया मंज़िल पे सारा क़ाफ़िला और राह-ए-ग़ुर्बत में।
मुनादी
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पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
मसनद पे ज़रा बैठेंगे इतराएँगेये मुफ़्त का माल चार दिन खाएँगे
रय्यान अबुलउलाई
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उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
वो किस वफ़ा पे कहने लगे बे-वफ़ा मुझेC.ग़ुलाम मुहीउद्दीन हम्द सिद्दीक़ी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अकबर दानापुरी
हज़रत मीर हसन देहलवी फ़रमाते हैं:सब पे जिस बार ने गिरानी की
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
फ़क़ीर अपना मुक़द्दर बनाए जाते हैंदर-ए-फ़रीद पे धूनी रमाए जाते हैं
सुमन मिश्रा
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ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयोदामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें
सुमन मिश्रा
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Krishna as a symbol in Sufism
ज़िन्दगी मथुरा पे बरसी आले ईजाद परकायनाते जुज़्व ओ कुल का राज़दाँ पैदा हुआ
बलराम शुक्ल
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शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
जहाँ ज़ेर-ए-पे चूँ सिकन्दर बुरीदमचूँ याजूज ब-गुज़श्तम अज़ सद्द-ए-संगी
एजाज़ हुसैन ख़ान
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हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
मर्कब-ए-हिर्स-ओ-हवा रा पे कुनीदम-ब-दम रौशन कुनी दर दिल चराग़
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यद शाह अ’ज़ीज़ुद्दीन हुसैन मुनएमी
ज़रा सँभल कर फ़क़ीरों पे तब्सिरा करनाये सूखी नदी से भी पानी निकाल देते हैं
रय्यान अबुलउलाई
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शाह अकबर दानापुरी और “हुनर-नामा”
हज़रत-ए-सय्यद-ए-सादात-ए-शहनशाह-ए-ओममजिनके एहसान पे सौ जान से क़ुर्बान हैं हम
रय्यान अबुलउलाई
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आज रंग है !
ख़िज़ाँ की फ़स्ल पे फ़ौज-ए-चमन चढ़ आई हैबुतान-ए-हिन्द अ’बीर-ओ-गुलाल उड़ाते हैं
सुमन मिश्रा
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
अपना ही कुछ तसर्रुफ़-ए-औहाम है कि हमचेहरे पे हक़ के पाते हैं पर्दा नक़ाब का
मयकश अकबराबादी
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सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
वो झूम के मय-ख़ाने पे बरसे तो मज़ा हैले जाओ मिरी जान तुम्हीं दिल को संभालो