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सूफ़ी लेख
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
(मुझे मौलाना बद्रुद्दीन इस्हाक़ से सख़्त मुहब्बत थी। तमाम मआ’मलात में जो मुझे पेश आते थे
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
हिन्दी साहित्य में लोकतत्व की परंपरा और कबीर- डा. सत्येन्द्र
प्रथम वैष्णव चरण ब्राह्मण धर्म अथवा हिन्दू धर्म के नाम से भी अभिहित किया जा सकता
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
सुफ़ियों का भक्ति राग
उत्तर भारत में भक्ति जो वैष्णव मत के रूप में राजपूत रियासतों में पहले ही मौजूद
ख़ुर्शीद आलम
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
अ’ज़ीज़ नाज़ाँ ने कई महान संगीतकारों के साथ काम किया और नए नए प्रयोग किए। उन्होंने
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
भारत-चीन युद्ध के समय जब पूरा देश एकता के सूत्र में बंध गया था,उस नाज़ुक दौर
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
हैयत (Form) के ए’तबार से समाअ’ और क़व्वाली की मुख़्तलिफ़ शक्लें रही हैं।हज़रत अमीर ख़ुसरौ के
मुनादी
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कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
कबीर साहब ने इसी प्रकार हिंदुओं के, उपवास करने के उद्देश्य से अन्न छोड़ने को ‘पाखंड’
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
मिर्ज़ा जहाँगीर बला के पीने वाले और ग़ज़ब के मुँह-फट थे, इस मुख़ालिफ़त से दिलों में
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
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अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
“बचन में बाप ने पढ़ने के लिये मकतब में बिठाया। यहाँ यह हाल था कि क़ाफ़िए
माधुरी पत्रिका
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लखनऊ का सफ़रनामा
अब हम लोगों ने अपने क़दम बढ़ाने शुरू’ किए और लखनऊ की सड़कों का तमाशा देखते