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सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
मैं वहाँ चोट नहीं खाता जहाँ मरहम हो।उस शहर में क़त्ल होता हूँ जहाँ मातम बरपा हो।दोहा:
ज़माना
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
”मैं उस वक़्त ख़िदमत में हाज़िर था लेकिन रात-भर जागने की वजह से कुछ ग़ुनूदगी थी
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
(2) हज़रत गेसू-दराज़ को एक ऐसे दौर में काम करना पड़ा था जब अफ़्क़ार-ओ-नज़रियात का ज़बरदस्त
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
क़िला’ दौलताबाद (दकन) या उसके क़ुर्ब-ओ-जवार में किसी मक़ाम पर एक शख़्स “संगड़” नामी रहता था
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह वजीहुद्दीन अलवी गुजराती
क़िबला-ए-रास्तान वजीहमुद्दीनसियासी उमूर:। शाह साहब की 88 बरस की ’उम्र में वफ़ात हुई और इस ’उम्र
मआरिफ़
सूफ़ी लेख
लखनऊ का सफ़रनामा
ख़ैर बात कहाँ चल रही थी और हम कहाँ चले गए। अल-ग़र्ज़ इस ’इमारत का बालाई
रय्यान अबुलउलाई
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समा’ के आदाब
औलिया-ए-किराम ने समा’ में तीन बातों को ख़ास-तौर से ज़रूरी बताया है। जिसमें समा’ सुनने का