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सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
फ़क़ीर वो है जो दुनिया को छोड़ बैठा हैख़ुदा की याद में मुँह सब से मोड़ बैठा है
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
पूज्यो क्यों न पहारा।नामदेव दरवाज़े बैठा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-लोटा(18) एक नार हाथे पर खासी। जनवर बैठा बीच ख़वासी।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-लोटा (18) एक नार हाथे पर खासी। जनवर बैठा बीच ख़वासी।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सुफ़ियों का भक्ति राग
ला इलाह का ताना इल्लल्लाह का बानादास कबीर बटने को बैठा उलझा सूत पुराना
ख़ुर्शीद आलम
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
छुपके है बैठा हुआ इस्बात नफ़ी-ए-ग़ैर मेंला के दरिया में निहाँ मोती हैं इल्ललाह के
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
हिरण नाद ने बुदह थोंड़ी, रवी ससी खाली ना पड़ना। आसन पाली मगन होकर बैठा, तो मीट गया आवागमना।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
40 या संसार असार या मैं मति पागो 5 विलावल41 जोगी एक गगन मंडल में बैठा 4 आसावरी
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
तज़्किरा-ए-फ़ख़्र-ए-जहाँ देहलवी
(वरक़11-12)एक-बार रुख़्सत होने से तीन दिन पहले सुब्ह की नमाज़ से क़ब्ल हज़रत मख़दूम शकर बार
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
पदमावत की एक अप्राप्त लोक कथा-सपनावती- श्री अगरचन्द नाहटा
सपनावती के सौन्दर्य को देखकर राजा भोज अधीर हो गया और मन ही मन प्रतिज्ञा कर
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
जब दिल्ली पर तैमूर का आक्रमण हुआ, उस समय पूरे देश में अराजकता का माहौल था.तुग़लक़
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -2
एक गँवार का अंधेरे में शेर को खुजाना (दफ़्तर-ए-दोम)एक गँवार ने गाय तबेले में बाँधी। शेर
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
Malangs of India
सातवी हिजरी में लिखी हुई प्रसिद्द किताब फ़वायद उल फ़ुवाद ( जिसमे हज़रत निजामुद्दीन औलिया के
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत अ’लाउद्द्दीन अहमद साबिर कलियरी
आप वहाँ से उठकर मस्जिद से बाहर आ कर बैठ गए।थोड़ी देर न गुज़री थी कि