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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शहाबुद्दीन पीर-ए-जगजोत
बी-बी हबीबा : दूसरी साहिब-ज़ादी सय्यदा बी-बी हबीबा मंसूब ब-सुल्तान सय्यद मूसा हमदानी हैं। इनसे तीन
रय्यान अबुलउलाई
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सूफ़िया-ए-किराम और ख़िदमात-ए-उर्दू - सय्यद मुहीउद्दीन नदवी
यही वजह है कि उर्दू ज़बान के इन दोहों में जो हज़रत मख़दूमुल-मुल्क की तरफ़ मंसूब
सूफ़ीनामा आर्काइव
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पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
ब-गोयम अ’ली बाज़ गोयम अ’ली राआपकी पहली शादी 19 रजब 1306 हिज्री, पीर बग्घा के एक
अब्सार बल्ख़ी
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ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
हिन्दोस्तान में सिलसिला-ए-तसव्वुफ़ का चराग़ कई सदियों से रौशन है। इसकी अज़्मत के तज़्किरे भरे पड़े
रय्यान अबुलउलाई
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शम्स तबरेज़ी - ज़ियाउद्दीन अहमद ख़ां बर्नी
एक दीवान जिसमें तक़रीबन पचास हज़ार अश्आ’र हैं शम्स तबरेज़ के नाम से मंसूब किया जाता
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा अमजद हुसैन नक़्शबंदी
“दुख़्तर अव्वलीन ख़्वाजा अमजद हुसैन मंसूब बूदंद ओ साहिब ए औलाद अंद” (स 426)ये बुज़ुर्ग हज़रत
रय्यान अबुलउलाई
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अबू मुग़ीस हुसैन इब्न-ए-मन्सूर हल्लाज - मैकश अकबराबादी
अंदाज़-ए-बयान पर कोई ए’तराज़ नहीं किया जा सकता लेकिन उनमें से कोई चीज़ न सिर्फ़ तसव्वुफ़
मयकश अकबराबादी
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सय्यिद सालार मस्ऊद ग़ाज़ी
शैख़ इसमाई’ल लाहौरी जो 1005 में लाहौर आए थे,उस ज़माने की मश्हूर शख़्सियत हैं लेकिन बा’द
जुनैद अहमद नूर
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गुरु बाबा नानक जी - अ’ल्लामा सर अ’ब्दुल क़ादिर
दुनिया के उन चीदा बुज़ुर्गों में जिन्हों ने अपनी ज़िंदगियाँ ख़ल्क़-ए-ख़ुदा की रहनुमाई के लिए वक़्फ़