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सूफ़ी लेख
वेदान्त - मैकश अकबराबादी
वेद और दूसरे कर्म-कांड(जिनमें अहकाम,अफ़आ’ल और फ़राईज़ का बयान है)अद्ना दर्जे के और आरज़ूओं में फंसे
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
जिस किसी को मिन-जानिबिल्लाह नज़र की पार्साई अ’ता हो गई हो उसे मा’शूक़ों के रुख़्सार को
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
राजा इस फ़रमान के पहुँचने पर कलिमात-ए-मसर्रत-अंगेज़ ख़ुद हज़रत की ज़बान-ए-मोबारक से सुनने के लिए मआ’
सूफ़ी
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
चुनाँचे यही हुआ |जब आप अजोधन पहुँचे और ये बुध का दिन था। अगर राहतुल-क़ुलूब को
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
ज़िक्र से मुराद ख़ुदा-वंद तआ’ला की याद है। इसकी चार क़िस्में हैं: 1 ज़बान पर हो