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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अहमद हुसैन चिश्ती शैख़पूरवी
ऐ मिरे ख़ालिक़ बरा ए औलिया,और मुसन्निफ़ इसका अहमद ऐ ख़ुदा,
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दीकोई पत्थर से न मारे मिरे दीवाने को
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
क्यों याद ना रखूँ तुझे ए दुश्मन-ए-पिनहांआख़िर मिरे सर पर तिरे एहसान बहुत हैं
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
ख़ुदा रखे अछूता है मिरे नौशाह का सेहराइसे जिबरील लाए गुँधा कर बाग़-ए-रिज़वाँ से
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
जिनके लिए दम देर से आँखों में रुका हैआँखों में तुम्हीं फिरते हो हर दम मिरे प्यारे
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
ये ख़ुशी फैली मिरे ग़म से कि शादी मर्ग हैंज़िंदगानी हो गई है मौत से बद-तर मुझे