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सूफ़ी लेख
मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
इस कुमारी का रसजोगी?’3. ‘इस मुकुट को पहनोगी?
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(212) नीला कंठ और पहिरे हरा। सीस मुकुट नाचे वह खड़ा।।देखत घटा अलापै चोर। ऐ सखी साजन ना सखी मोर।।
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(212) नीला कंठ और पहिरे हरा। सीस मुकुट नाचे वह खड़ा।। देखत घटा अलापै चोर। ऐ सखी साजन ना सखी मोर।।
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भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
मुरली देखकर लजाते हैं। मुरली गाँव और गोचारण की उन्मुक्तता की प्रतीक है। सिंहासन बैठा राजा
सूरदास : विविध संदर्भों में
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
(ग) मीरा ने भगवान के स्वरूप का कैसा वर्णन किया है? उसकी दृष्टि अमरीका की अख़बारी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
उक्त प्रेमतत्व की पुष्टि में ही सूर की वाणी मुख्यतः प्रयुक्त जान पड़ती है। रति-भाव के