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सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ जमालुद्दीन कोल्हवी
नानों दो घंटा से कम में पहुंच गए क्योंकि गाड़ी में घोड़े चालाक जुते हुए थे।
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
विदेशी सामराज्य ने न सिर्फ़ हमारी हुकूमत और ताक़त को ग़ारत किया है बल्कि हमारे तमद्दुन,
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी दूसरे ईरानी शो’रा की तरह ग़ज़लें या आ’शिक़ाना नग़्मे नज़्म करता था। उसकी रगों में
ज़माना
सूफ़ी लेख
तज़्किरा यूसुफ़ आज़ाद क़व्वाल
इस्माई’ल आज़ाद के हम-अ’स्रों में सबसे ज़्यादा शोहरत यूसुफ़ आज़ाद को नसीब हुई। यूसुफ़ एक इंतिहाई
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
तज़किरा अ’ब्दुल-रब चाऊश क़व्वाल
इस्माई’ल आज़ाद और चाऊश के दरमियान सद-हा मुक़ाबले हुए लेकिन दोनों एक दूसरे की सलाहियतों का