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सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
ये था हालात-ए-ज़िंदगी का वो ख़ाका जहाँ से आपकी ज़िंदगी में एक अ’ज़ीम तब्दीली रूनुमा हुई,
मुनीर क़मर
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
(मैं रूम से शाम तक सफ़र करता रहा मगर मेरे दिल को एक लम्हा आराम मयस्सर
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
मंसूर हल्लाज
क़ैद-ख़ाने में उनसे बहुत सी करामातें ज़ाहिर हुईं जिनमें सबसे आख़िरी करामत ये थी कि एक