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सूफ़ी लेख
आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
वल्लाह बिल्लाह दरीं गुमाँ नीस्तबे-शक्ल-ओ-ब-शक्ल-ए-उस्त आ’लम
फ़ैज़ अली शाह
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
ख़ुद आमद ब-शक्ल ईँ अकवानहसब-ए-दर्ख़्वास्त-ए-हज़रत-ए-आ’यान
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
दिल! उस बुत-ए-फिरंग से मिलने की शक्ल क्या, मेरा तरीक़ और है, उस की है शान और।
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
वो तो हैवान ब-शक्ल-ए-आदम है॥हआ-ओ-हवस और हिर्स-ओ-तमा’ से परहेज़ की तलक़ीन इस तरह है।
मुनादी
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
क्यों गुरु बाबा इस में आप क्या फ़रमाते हैं? फ़रमाया हम निरंकारी हैं (या’नी बे-शक्ल ख़ुदा
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत ग़ौस ग्वालियरी और योग पर उनकी किताब "बह्र-उल-हयात"
जब कोई शख़्स पूरी दुनिया को एक नुक़्ता की शक्ल में देखने और तमाम आ’लम को
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
ये तो ज़ाहिर है कि अब पुरानी क़व्वाली को अपनी असली शक्ल में पहले जैसी मक़्बूलियत
मुनादी
सूफ़ी लेख
सूफ़ी ‘तुराब’ के कान्ह कुँवर (अमृतरस की समीक्षा)
हज़रत तुराब काकोरवी जब श्रीकृष्ण को अपने पीर या महबूब की शक्ल में पेश कर पाते
बलराम शुक्ल
सूफ़ी लेख
दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
इन दोनों मिसालों की रौशनी में ज़हन में ये तजस्सुस पैदा होना बरहक़ है कि मीरा
शमीम तारिक़
सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
अज़ीज़ मियाँ का विसाल 6 दिसम्बर 2000 ई. को तेहरान में हुआ। वो ईरान सरकार के
सुमन मिश्र
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Malangs of India
माही और मरातिब के अलावा मलंग अपने साथ पंजतन, छड़ी( जो कभी कभी नुकीली भी होती