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सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
क्यों गुरु बाबा इस में आप क्या फ़रमाते हैं? फ़रमाया हम निरंकारी हैं (या’नी बे-शक्ल ख़ुदा
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
एक दिन हज़रत सय्यिद अपने हुज्रा-ए-ख़ास में तशरीफ़ फ़रमा थे और आपका ख़ादिम आपके दर्वाज़े पर
फ़ैज़ अली शाह
सूफ़ी लेख
क़व्वाली की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा
किसी फ़न की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा के बारे में क़लम उठाना उस वक़्त आसान होता है जबकि हम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु ने फ़रमाया था:परवाने को चराग़ है, बुलबुल को फूल बस
मुनादी
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क़व्वाली के क़दीम-ओ-जदीद मुक़ाबले
क़व्वाली के मुक़ाबलों : क़व्वाली के फ़नकारों में मुक़ाबलों का रिवाज बहुत पुराना है लेकिन ज़माना-ए-क़दीम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
तज़्किरा शंकर-ओ-शंभू क़व्वाल
क़व्वाली का फ़न किसी मज़हब की मीरास नहीं। हर मज़हब के लोग न सिर्फ़ इस फ़न
अकमल हैदराबादी
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समा के आदाब-ओ-मवाने से का इनहराफ़
हज़रत जुनैद बग़्दादी के समा’अ से आख़िरी उम्र में किनारा-कशी इख़्तियार कर लेने के बा’द समा’अ
अकमल हैदराबादी
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की उ’म्र अभी 12-13 साल की थी और बदायूँ में मौलाना अ’लाउद्दीन उसूली