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सूफ़ी लेख
तारीख़-ए-वफ़ात निज़ामी गंजवी
ज़ान सहर सहर गही कि रानममजमूआ-ए-हफ़्त सब्अ’ ख़्वानम
क़ाज़ी अहमद अख़्तर जूनागढ़ी
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
सहर-ओ-शाम वहाँ ये सहर-ओ-शाम नहींबुल-हवस पाँव रखियो कभी इस के बीच
मयकश अकबराबादी
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कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
दोहा मरुधर मांही मेडतो गहर सहर नाम
भारतीय साहित्य पत्रिका
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अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
न पहचान पाए तो इतना समझ लो ।शब-ए-हिज्र की फिर सहर भी न होगी ।।
फ़रोग़-ए-उर्दू
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ख़्वाजा शम्सुद्दीन मुहम्मद ‘हाफ़िज़’ शीराज़ी
दोश वक़्त-ए-सहर अज़ ग़ुस्स: नजातम दादन्दवंदर आँ ज़ुल्मत-ए-शब आब-ए-हयातम दादन्द॥
सुमन मिश्रा
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उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
ख़ैर से दीन का कुछ काम अगर करते हैंएक वो थे कि नमाज़ों में सहर करते थे
सुमन मिश्रा
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औघट शाह वारसी और उनका कलाम
गुफ़्ता कि औराद-ए-सहर गुफ़्तम कि दीदन आ’रिज़तगुफ़्ता नमाज़-ए-शब तुरा गुफ़्तम ख़याल-ए-मू-ए-तू
सुमन मिश्रा
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अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
ता सहर वह भी न छोड़ी तु ने ऐ बाद-ए-सबायादगार-ए-रौनक़-ए-महफ़िल थी परवाने की ख़ाक।
माधुरी पत्रिका
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हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
बा’द रस्म-ए-चादर-पोशी महफ़िल-ए-समाअ’ ता-वक़्त-ए-सहर।11 शा’बानः- बा’द नमाज़-ए-फ़ज्र महफ़िल-ए-समाअ’
मुनीर क़मर
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हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
क़यामत-क़ामते, बाला-बलाए आफ़त-ए-जानेबुते ग़ारत-गर-ए-दीं सहर-कारे कर्द:-अम पैदा
अहमद फ़ाख़िर
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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हज़रत मौलाना शाह हिलाल अहमद क़ादरी मुजीबी
आपका यूँ रुख़्सत हो जाना किसी एक शोबे की कड़ी का टूट जाना नहीं है बल्कि
रय्यान अबुलउलाई
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ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती की दरगाह
तारीख़ की बा’ज़ अदाऐं अ’क़्ल और मंतिक़ की गिरफ़्त में भी नहीं आतीं। रू-ए-ज़मीन पर ऐसे
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
हम आवाज़-ए-जरस की तर्ह से तन्हा भटकते हैं।।एक और चीज़ जिसने ज़फ़र को मक़्बूल-ओ-महबूब बनाया वो
मुनादी
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तज़्किरा इस्माई’ल आज़ाद क़व्वाल
इस्माई’ल एक फ़य्याज़ इन्सान थे। दोस्तों पर उनके कई एहसानात हैं। कोई और इसका ए’तराफ़ करे