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सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
हू साजन सहरा साजन मुझ गलहार!तू रूप देख जग माह्या, नन्द तारायन भान!
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
छेद के मुझ को दुख में डाला, क्यों सखि साजन नहिं सखि बाला।।पहेलियाँ
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
होंठन लाग सही रस खौंचा। ऐ सखी साजन ना सखी नैचा।।(d) दो सुखना हिंदी।
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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
होंठन लाग सही रस खौंचा। ऐ सखी साजन ना सखी नैचा।।(4) दो सुखना हिंदी।
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दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
मितवा आओ घड़ी, तो कब तक रहे बिदेसबाजन जीहूं साजन पाऊँ, फूलों सेज बिछाऊँ री