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सूफ़ी लेख
हज़रत अ’लाउद्द्दीन अहमद साबिर कलियरी
आपका एक शे’र जिसमें “साबिर” तख़ल्लुस इस्ति’माल किया गया है हसब-ए-ज़ैल है।इस तरह डूब उस में ऐ साबिर
सूफ़ीनामा आर्काइव
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तज़्किरा कुतुब-ए-आलम हज़रत शाह क़ुतुब अली बनारसी
हज़रत शाह शैख़ साबिर ’अली चकियावीहज़रत शाह हाफ़िज़ बस्री
इल्तिफ़ात अमजदी
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समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
आपने बा-ज़ाब्ता जमाअ’त-ख़ाना की ता’मीर कराई थी जिसमें आने जाने वालों की हर ज़रूरत का ख़याल
रहबर मिस्बाही
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अमीन अहमद फ़िरदौसी
फ़ारसी ज़बान से आपको तिब्बी मुनासिबत थी ख़ुद फ़रमाते हैं कि दीवान-ए-हाफ़िज़ की चँद ग़ज़लें पढ़ी
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
(2) एक दफ़ा’ किसी ने हज़रत मौलाना साहिब से अ’र्ज़ किया कि लोग कहते हैं कि
मुनादी
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
ज़िक्र से मुराद ख़ुदा-वंद तआ’ला की याद है। इसकी चार क़िस्में हैं: 1 ज़बान पर हो